11 साल बाद जारी भाजपा के घोषणा पत्र में राम मन्दिर, अनुच्छेद 370, समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे शामिल किये गये हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घोषणा पत्र में इन मुद्दों का कोई जिक्र भी नहीं किया गया है। इन मुद्दों का जिक्र भाजपा ने केवल उस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिये किया है जिसके सहारे उसने सत्ता सुख प्राप्त किया था। लेकिन भाजपा के शीर्षस्थ बुद्विजीवी इस बात में बुद्वि नहीं लगा पाये कि इन मुद्दों के आधार पर भाजपा को वोट देने वाले मतदाता भाजपा की राजनीति को अच्छी तरह जान गये हैं। वे जानते हैं कि अपने बलबूते पर सरकार बनाना भाजपा के लिये टेढ़ी खीर है। सरकार राजग की बैशाखी के बिना सम्भव नहीं है। अब यदि राजग सरकार बनवाती है तो वह अपना घोषणा पत्र अमल में लायेगी। इस स्थिति में भी भाजपा के घोषणा पत्र की कोई अहमियत नहीं। फिर भाजपा का घोषणा पत्र किसके लिए? जागो नेता जागो अब मतदाता जाग गया है।
अकल के दरवाजे तो खुल ही गए
चलिए शाहरुख़ भाई, आपको अब कुछ तो समझ में आ गया होगा? ये क्रिकेट का मैदान है, यहाँ सब कुछ प्रचार और रंगीनियाँ दिखाने का कमाल नहीं है। आपका सारे समय इधर से उधर घूम घूम कर प्रचार करना, मॉडल के साथ नाच नाच कर 20-20 मैचों को फिल्मी समझना, लग रहा था जैसे की जीत पब्लिक के सहारे मिलेगी। यदि ऐसा ही होता तो हम किसी भी वर्ल्ड कप में नहीं हारते क्योंकि एक आप ही नहीं, इस देश में तमाम ऐसे हैं जो आप से ज्यादा भीड़ खीचने की ताकत रखते हैं।
आइ० पी० एल० की सुंदर सी, डरावनी सी, खिसियानी सी हार के बाद तो आपकी अकल के दरवाजे तो खुल ही गए होंगे? वैसे आपके साथ-साथ आपके अंधे भक्तों के दिमाग में लगा ताला भी खुला होगा जो आपको सफलता का दूसरा नाम मानते थे। भैये मीडिया के सहारे, पैसे की ताकत दिखा कर, अंधाधुंध पैसा बाँट कर फिल्मों को तो हिट बनाया जा सकता है पर खेल को नहीं।
खेल के सहारे व्यापार करने की सोच कर आपका यहाँ आना घाटे का सौदा ही रहा, यदि खेल या देश से इतना ही प्रेम है तो अपनी फ़िल्म की तरह हॉकी की तरफ़ ध्यान लगा दो कुछ भला जरूर होगा, कुछ हॉकी का, कुछ आपका। शायद बात समझ नहीं आयेगी, आख़िर सवाल व्यापार का है।